मशरूम खाने में जितना लजीज होता है, उतना ही हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी होता है। मशरूम में कई ऐसे जरूरी पोषक तत्वों का भंडार है, जिसकी जरुरत हमारे शरीर को होती है। विटामिन बी, डी, पोटैशियम, कॉपर, आयरन और सेलेनियम जैसे कई खनिज और विटामिन इसमें पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं। शायद ही आपको ये मालूम होगा कि मशरूम का इस्तेमाल कई बिमारियों के इलाज में भी किया जाता है।
पिछले कुछ सालों में मशरूम की मांग हमारे देश में तेजी से बढ़ी है। भारत, जहां की ज्यादातर आबादी शाकाहारी है, वहां शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए भी मशरूम का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाने लगा है। वहीं भारत में मशरूम की बढ़ती मांग को देखते हुए अब इसकी खेती भी बड़े पैमाने पर की जाने लगी है। देश के कई राज्यों में मशरूम की खेती वृह्त रुप से की जा रही है, लेकिन कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अब भी बाजार की मांग की तुलना में मशरूम का उत्पादन कम हैं। हालांकि अब तो कई ऐसे तकनीक बाजार में आ गए हैं, जिसके जरिए एक छोटे से कमरे में भी मशरूम का अच्छा उत्पादन किया जा सकता है और उससे अच्छी कमाई भी की जा सकती है। तो ऐसे में आइए जरा विस्तार से जानते हैं कि आखिर कैसे करें मशरूम की खेती और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।
मशरूम के प्रकार (मशरूम की प्रजातियां) Mashroom ke Parkar
वैसे तो प्राकृतिक और कृत्रिम रुपों में दुनियाभर में मशरूम की कई प्रकार है, लेकिन भारत के वातावरण के अनुसार यहां मुख्य रुप से तीन प्रकार के मशरूम की खेती की जाती है।
- बटन मशरूम
- ढिंगरी मशरूम (ऑयशटर मशरूम)
- धान पुआल मशरूम (पैडी स्ट्रॉ मशरूम)
बटन मशरूम की खेती कैसे करें Button Mashroom ki Keti Kaise Karen
-
बटन मशरूम खेती के लिए सही समय और तापमान Button Mashroom ke liye Sahi Samay aur Tapman
भारत में बटन मशरूम सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च का महीना होता है। इसकी खेती के लिए दो तरह के तापमान की जरुरत होती है। बोआई के वक्त जहां इसे 22 से 26 सेंटीग्रेड की आवश्यकता होती है, वहीं प्ररोहण वृद्धि के लिए इसे 14 से 18 डिग्री तापमान में ही उगाया जा सकता है। 18 डिग्री से कम का तामपान बटन मशरूम के लिए हानिकारक होता है।
-
कम्पोस्ट बनाना और थैलियों में भरना Compost Banana aur Thaliyon me Bharna
बटन मशरूम की खेती के लिए विशेष विधि के जरिए कम्पोस्ट तैयार की जाती है। इसे साधारण विधि से तैयार करने में 20 से 25 दिन का समय लगता है। वहीं निर्जीविकरण विधि से कम्पोस्ट तैयार करने में करीब 15 दिनों का वक्त लगता है। कम्पोस्ट तैयार होने के बाद लकड़ी की पेटी या रैक में इसकी 6 से 8 इंच मोटी परत बिछा देते हैं। वहीं अगर बटन मशरूम की खेती पॉलिथिन की थैलियों में करनी हो तो कम्पोस्ट खाद को बीजाई या स्पानिंग के बाद ही थैलियों मे भरें। थैलियों में 2 मिलीमीटर व्यास के छेद थोड़ी-थोड़ी दूरी पर करनी चाहिए।
-
बटन मशरूम की बीजाई या स्पानिंग Batan Mashroom ki Bijai ya Spanning
अच्छी फसल के लिए सबसे जरूरी चीज होती है उसके बीज की गुणवत्ता। बीज की क्वालिटी बढ़िया होने से फसल भी अच्छी आती है, इसलिए बीज के क्वालिटी पर भी विशेष ध्यान दें। मशरूम के बीज को स्पान कहतें हैं। इसका बीज एक माह से अधिक पुराना नही होना चाहिए।
बीज की मात्रा कम्पोस्ट खाद के वजन के 2-2.5 प्रतिशत के बराबर लें।बीज को पेटी में भरी कम्पोस्ट पर बिखेर दें और उसके उपर 2 से 3 सेमी मोटी कम्पोस्ट की एक और परत चढ़ा दें। उसके उपर से फिर बीज बिखेर दें और फिर से 3 इंच मोटी कम्पोस्ट की परत बिछा दें और बाकी बचे बीज उस पर बिखेर दें, इस पर कम्पोस्ट की एक पतली परत और बिछा दें।
-
कवक जाल का बनना Kavak Jaal ka Banna
बीजाई के बाद पेटी या थैली को कमरे में रख दें। इन पर पुराने अखबार बिछाकर पानी से भिगो दें। कमरे में पर्याप्त नमी बनाने के लिए कमरे के फर्श व दीवारों पर भी पानी छिडकें। इस समय कमरे का तापमान 22 से 26 डिग्री और नमी 80 से 85 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए। अगले 15 से 20 दिनों में खुम्बी का कवक जाल पूरी तरह से कम्पोस्ट में फैल जाएगा।
-
परत चढ़ाना Parat Chadana
गोबर की सड़ी हुई खाद और मिट्टी की बराबर मात्रा को छानकर अच्छी तरह से मिला लें। इस मिश्रण का 5 प्रतिशत फार्मलीन या भाप से निर्जीवीकरण कर लें। इस मिट्टी को परत चढ़ाने के लिए प्रयोग करें। कम्पोस्ट में जब कवक जाल पूरी तरह फैल जाए तो इसके उपर उपरोक्त विधि से तैयार की गई मिट्टी की 4-5 सेमी मोटी परत बिछा दें। परत चढ़ाने के 3 दिन बाद से कमरे का तापमान 14-18 डिग्री के बीच और नमी 80-85 प्रतिशत के बीच ही रखें। अब कमरे की खिड़कियां खोलकर रखें।
-
फलनकाय का आना और उसकी तुड़ाई Falankay ka Aana aur Uski Tudai
मशरूम की बीजाई के करीब 35 से 40 दिन बाद कम्पोस्ट के ऊपर मशरूम के सफेद फलनकाय दिखाई देने लगते हैं। जब मशरूम की टोपी कसी हुई अवस्था में हो और उसके नीचे की झिल्ली साबुत हो, तब मशरूम को हाथ की उंगलियों से हल्का दबाकर और घुमाकर तोड़ लेते हैं।
सामान्यत: एक फसलचक्र यानी 6 से 8 सप्ताह में मशरूम के 5-6 फल आते हैं।
-
भंडारण Bhandaran
मशरूम को तोड़ने के बाद साफ पानी में अच्छी तरह धो लें। बाद में 25 से 30 मिनट के लिए उसे ठंडे पानी में भीगो दें। इसका भंडारण फ्रिज में 5 डिग्री ताप पर 4-5 दिनों के लिएभी किया जा सकता है।
-
पैदावार और कमाई Paidawar aur Kamai
प्रतिवर्ग मीटर में लगभग 8 से 9 किलोग्राम मशरूम पैदा होती है। 100 किलोग्राम कम्पोस्ट से लगभग 12 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है।
अब 2000 किलो मशरूम अगर 150 रुपए एक किलो के हिसाब से बिकती है तो करीब 3 लाख रुपए मिलते हैं। इसमें से 50 हजार रुपए लागत के तौर पर निकाल दें तो भी ढाई लाख रुपए बचते हैं।
ऑयस्टर मशरूम की खेती कैसे करें Oyster Mashroom ki Kheti Kaise Karen
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में भी ऑयस्टर मशरूम की खेती काफी लोकप्रिय हो रही है।
-
जरूरी चीजें Jaroori Cheejen
ऑयस्टर मशरूम की खेती के लिए भूसा, पॉलीबैग, कार्बेंडाजिम, फॉर्मेलिन और स्पॉन की जरूरत होती है। दस किलो भूसे के लिए एक किलो स्पॉन की जरूरत होती है।
-
भूसे की तैयारी Bhuse ki Taiyari
ऑयस्टर मशरूम की खेती के लिए पहले 100 लीटर पानी में 150 मिली. फार्मलिन, सात ग्राम कॉर्बेंडाजिन को इसमें दस किलो भूसा डुबोया जाता है। भूसा भिगोने के बाद लगभग बारह घंटे इसे निकालकर किसी जालीदार बैग में भरकर या चारपाई पर फैला दें। इससे अतिरिक्त पानी निकल जाता है।
-
बीज लगाना Beej Lagana
इसके बाद एक किलो सूखे भूसे को एक बैग में भर दें। हर एक बैग में तीन लेयर होनी चाहिए। हर परत के बाद उसमें बीज को किनारे-किनारे रखकर उसपर फिर भूसा रखें। इसी तरह से एक बैग में तीन लेयर लगानी होती है।
-
फसल आना, तुड़ाई और भंडारण Fasal Aana Tudai aur Bhandaran
बैग में बीज बोने के पंद्रह दिनों बाद ही इसमें ऑयस्टर की सफेद-सफेद खूटियां निकलने लगती हैं,। ये मशरूम बैग में चारों तरफ निकलने लगता है। इसे हल्के हाथों से अच्छी तरह तोड़ लिया जाता है। इस मशरूम में सबसे अच्छी बात होती है इसे सुखाकर भी बेच सकते हैं। सुखा होने की वजह से इसके भंडारण में भी ज्यादा परेशानी नहीं होती है। लेकिन फिर भी ध्यान रखना चाहिए कि इसे हफ्ते भर से ज्यादा न रखें।
धान पुआल मशरूम की खेती कैसे करें Dhaan Puaal ki Mashroom ki Kheti Kaise Karen
धान पुआल मशरूम की खेती मई से सिम्बर के बीच की जाती है। इसके लिए 34 से 38 डिग्री तापमान और 80-85प्रतिशत नमी की जरुरत होती है। इसकी खेती खुले और बंद कमरे दोनों में की जा सकती है।
-
पुआल भिगोना Puaal Bhigona
इसके लिए धान का पुआल या कपास का कचरा मिलाकर 7 से 8 सेंटी गांठ बांध लें और 70 से 80 सेंटीमीटर लंबाई में काट लें। इसे पानी से भरे बड़े बर्तन में 12 घंटे के लिए डुबो दें। इसके बाद इसे निकालकर फर्श पर बिछा दें, ताकी इसका अतिरिक्त पानी निकल जाए।
-
बुवाई Buwai
पहले से तैयार किए गए क्यारियों में पुआल की गट्ठरों को सटा- सटा कर रख दें। पुआल का सिर एक ओर होना चाहिए। इसके उपर चार और गट्ठरों के सिर को विपरीत दिशा में करके रख दें। अब इस पहली परत में बीज बिखेर दें। अब इसी तरह चार और परत बना लें। बाद में इस ढेर को पारदर्शी प्लास्टिक से ढंक दें। लेकिन ध्यान रहे कि ये प्लास्टिक गट्ठरों को ना छूए।
-
मशरूम की तुड़ाई और भंडारण Mashroom ki Tudai aur Bhandaran
बोआई के 8 दिनों बाद कवक जाल अंदर पूरी तरह फैल जाएगा। इसके बाद चादर को उतार दें और उसर हल्का पानी के फुआरे दें। इसके बाद करीब और 7 से 8 दिनों के बाद यहां मशरूम की फसल नजर आने लगेगी। जब मशरूम का उपरी हिस्सा थोड़ा फटा सा लगने लगे तो उसे तोड़ लेना चाहिए।
पैडी स्ट्रॉ मशरूम 10- 12 दिनों तक चलती है। फ्रिज में इनका भंडारण 2 से 3 दिनों तक किया जा सकता है। ये काफी नाजुक होती है।
मशरूम की खेती के लिए सावधानियां Mashroom ki Kheti ke Liye Sawdhaniyan
- मशरूम की खेती में सावधानी बरतने के लिए सबसे जरूरी चीज है साफ- सफाई। कीड़े- मकोड़े से बचने के लिए घर और पर्यावरण को साफ सुथरा रखें।
- पुआल की वजह से मशरूम गृहों में चूहे आते हैं। इसके लिए चूहों के बिलों को कांच के टुकडों एवं प्लास्टर से बंद कर दें।
निष्कर्ष Conclusion
विशेषज्ञों का मानना है कि गरीबी दूर करने के लिए मशरूम की खेती किसानों के लिए एक बेहतर उपाए हैं। बहुत से सफल किसान इसका जीता जागता उदाहरण हैं। मशरूम की खेती से जुड़ा हमारा ये लेख आपको कैसा लगा कमेंट कर के हमें जरूर बताएं। इसी तरह की कृषि और खेती से जुड़ी कुछ और जानकारियां हम आपके साथ साझा करते रहेंगे।